“Pre-Market और Post-Market सेशन क्या होते हैं?”

“Pre-Market और Post-Market सेशन क्या होते हैं?”

What are Pre-Market and Post-Market sessions?”

शेयर बाजार के सामान्य ट्रेडिंग घंटों के अलावा, Pre-Market और Post-Market सेशन भी होते हैं, जो विशेष रूप से सक्रिय ट्रेडर्स और निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। ये सेशन आपको बाजार के खुले होने से पहले और बंद होने के बाद ट्रेडिंग का एक अलग अनुभव देते हैं। तो, चलिए जानते हैं कि ये सेशन क्या होते हैं, और इनका व्यापारिक महत्व क्या है।

Pre-Market और Post-Market क्या होते हैं?

Pre-Market और Post-Market दोनों ही शेयर बाजार में वैकल्पिक ट्रेडिंग सेशन हैं, जो सामान्य व्यापारिक घंटों के अलावा होते हैं। ये सेशन विशेष रूप से उन निवेशकों और ट्रेडर्स के लिए महत्वपूर्ण हैं जो बाजार की गतिविधियों पर जल्दी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं या जिनके पास मुख्य व्यापारिक घंटों में व्यापार करने का समय नहीं होता।

Pre-Market सेशन (सुबह का समय)

 

"Pre-Market ट्रेडिंग: एक ट्रेडर सुबह के समय स्टॉक मार्केट डेटा को मॉनिटर कर रहा है।" । "Pre-Market Trading: A trader monitoring stock market data in the morning."
क्या आपने कभी Pre-Market ट्रेडिंग का अनुभव किया है? जानें कि यह आपके निवेश के लिए क्यों महत्वपूर्ण हो सकता है!”

Pre-Market सेशन वो समय होता है जब शेयर बाजार का ट्रेडिंग दिन शुरू होने से पहले कुछ घंटों तक ट्रेडिंग होती है। भारत में, यह आमतौर पर सुबह 9:00 बजे से 9:15 बजे तक होता है। इस समय के दौरान, निवेशक और ट्रेडर अपने पोर्टफोलियो की स्थिति के अनुसार निर्णय लेते हैं और शेयरों की खरीद-बिक्री करते हैं। प्री-मार्केट में ट्रेडिंग का मुख्य उद्देश्य होते हैं:

  1. मार्केट की भावना को जानना: इस समय ट्रेडिंग के दौरान कंपनियों के स्टॉक्स के बारे में शुरुआती राय बनती है, जो मुख्य व्यापारिक घंटों में व्यापार को प्रभावित कर सकती है।
  2. नवीनतम समाचारों का असर: प्री-मार्केट में व्यापार करने वाले ट्रेडर आमतौर पर रात भर के समाचारों, आर्थिक डेटा या कंपनियों के अपडेट्स पर आधारित होते हैं।
  3. प्रारंभिक मूवमेंट: इस समय में बाजार हल्का-फुल्का सक्रिय होता है और स्टॉक्स के प्राइस में पहले से बदलाव हो सकता है।

Post-Market सेशन (शाम का समय)

 

Post-Market ट्रेडिंग: एक निवेशक शाम के समय स्टॉक डेटा और कंपनी की रिपोर्ट का विश्लेषण कर रहा है।" ।Post-Market Trading: An investor analyzing stock data and company reports in the evening."
बाजार बंद, लेकिन अवसर अभी भी खुले हैं! Post-Market ट्रेडिंग का लाभ उठाएं।”

Post-Market सेशन वह समय होता है जब शेयर बाजार के बंद होने के बाद, कुछ घंटे और ट्रेडिंग की जाती है। भारत में, यह आमतौर पर शाम 3:45 बजे से 4:00 बजे तक होता है। पोस्ट-मार्केट सेशन का मुख्य उद्देश्य यह है कि जो ट्रेडर्स दिन के दौरान अपने व्यापार को खत्म नहीं कर पाए, वे इस समय में व्यापार कर सकें। इसके अलावा, इस सेशन के दौरान निम्नलिखित लाभ होते हैं:

  1. कंपनी के परिणामों पर प्रतिक्रिया: पोस्ट-मार्केट सेशन में आमतौर पर कंपनियों के परिणाम, वित्तीय रिपोर्ट्स, और अन्य समाचारों पर आधारित प्रतिक्रिया देखी जाती है।
  2. समाप्ति के बाद के निर्णय: ट्रेडर्स इस सेशन का उपयोग अपनी स्थिति को समायोजित करने और अगले दिन के लिए तैयारी करने के लिए करते हैं।
  3. कम वोलैटिलिटी: पोस्ट-मार्केट में आमतौर पर वोलैटिलिटी कम होती है, लेकिन इसमें व्यापार की गति धीमी रहती है।

Pre-Market और Post-Market का महत्व

 

Pre-Market बनाम Post-Market: कौन सा ट्रेडिंग सेशन आपके लिए सही है?" । "Both Pre-Market and Post-Market present different opportunities and challenges. This infographic will help you decide which session best suits your investment goals."
Pre-Market बनाम Post-Market: कौन सा ट्रेडिंग सेशन आपके लिए सही है?”
  1. पारदर्शिता और अवसर: प्री-मार्केट और पोस्ट-मार्केट सेशन से आपको बाजार के बारे में अतिरिक्त जानकारी मिलती है, जिससे आप बेहतर निर्णय ले सकते हैं।
  2. मार्केट इंटेलिजेंस: इन सेशनों में व्यापार करने से आपको मार्केट की दिशा को समझने में मदद मिलती है और आप ट्रेडिंग की रणनीतियां बेहतर बना सकते हैं।
  3. विविधता: इन सेशनों में आपको कम कीमत पर व्यापार करने का मौका मिल सकता है, जो प्रमुख व्यापारिक घंटों के मुकाबले ज्यादा लाभकारी हो सकता है।
Pre-Market और Post-Market सेशन में व्यापार करने के फायदे और नुकसान

• फायदे:

  • फास्ट मूवमेंट: कुछ मामलों में, प्री-मार्केट और पोस्ट-मार्केट सेशन में स्टॉक्स में तेज़ मूवमेंट हो सकता है।
  • अवसर की खोज: अगर आपको मुख्य बाजार के दौरान ज्यादा समय नहीं मिल पाता है, तो यह सेशन आपकी मदद कर सकते हैं।
  • कम वोलैटिलिटी: पोस्ट-मार्केट सेशन में आमतौर पर कम वोलैटिलिटी होती है, जिससे ज्यादा स्थिरता मिलती है।

नुकसान:

  • कम लिक्विडिटी: इन सेशनों में व्यापार की मात्रा बहुत कम होती है, जिससे लिक्विडिटी भी कम हो सकती है और यह प्राइस मूवमेंट को प्रभावित कर सकता है।
  • ज्यादा जोखिम: प्री-मार्केट और पोस्ट-मार्केट में ट्रेडिंग करने से ज्यादा जोखिम हो सकता है, क्योंकि वोलैटिलिटी अधिक होती है।
  • कम आंकलन: इन सेशनों में व्यापार के आंकलन की संभावना कम होती है, जिससे गलत निर्णय लेने का खतरा बढ़ सकता है।

Pre-Market और Post-Market सेशन के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

  1. कम लिक्विडिटी और वोलैटिलिटी: इन सेशनों में स्टॉक्स की लिक्विडिटी कम हो सकती है, और कीमतों में अधिक उतार-चढ़ाव हो सकता है।
  2. न्यूनतम आदेश: चूंकि इन सेशनों में कम वोलैटिलिटी होती है, इसलिए ट्रेडिंग के दौरान मिनिमम लॉट साइज और आदेश पर ध्यान देना चाहिए।
  3. समाचार पर ध्यान दें: प्रमुख समाचार घटनाओं के परिणामस्वरूप इन सेशनों में तेजी से बदलाव हो सकता है।

FAQs: Pre-Market और Post-Market सेशन के बारे में

  1. Pre-Market सेशन में किस समय ट्रेडिंग होती है? प्री-मार्केट सेशन आमतौर पर सुबह 9:00 बजे से 9:15 बजे तक होता है।
  2. Post-Market सेशन का समय क्या होता है? पोस्ट-मार्केट सेशन शाम 3:45 बजे से 4:00 बजे तक होता है।
  3. Pre-Market और Post-Market में लिक्विडिटी कम क्यों होती है? इन सेशनों में ट्रेडर्स की संख्या कम होती है, जिससे व्यापार की लिक्विडिटी भी कम हो जाती है।
  4. क्या Pre-Market और Post-Market सेशन में वही ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स इस्तेमाल किए जा सकते हैं जो सामान्य व्यापारिक घंटों में होते हैं? हां, अधिकांश ब्रोकर कंपनियां प्री-मार्केट और पोस्ट-मार्केट ट्रेडिंग के लिए भी अपने प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करने की अनुमति देती हैं।
  5. क्या Pre-Market और Post-Market में व्यापार करना जोखिमपूर्ण है? हां, कम लिक्विडिटी और अधिक वोलैटिलिटी के कारण इन सेशनों में व्यापार करना ज्यादा जोखिमपूर्ण हो सकता है।
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